
Kumari Kandam
दुनिया में कई सभ्यता विकसित हुई और कई सभ्यता खत्म हो गई। जैसे सिंधु सभ्यता, चीन की सभ्यता, मिसिपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई है और खत्म भी हो गई। ऐसे ही एक महाद्वीप थी जिसे समुद्र ने अपने अंदर निगल लिया जिसका नाम कुमारी कंदम थी। यह महाद्वीप भारत में थी।
तमिल साहित्य में मिलता है कुमारी कंदम का जिक्र?
तमिल लेखकों के अनुसार आधुनिक मानव सभ्यता का विकास अफ्रीका महाद्वीप में न होकर हिन्द महासागर में स्थित ‘कुमारी कंदम’ नामक द्वीप में हुआ था। हालांकि ‘कुमारी कंदम’ को हिन्द महासागर में विलुप्त हो चुकी काल्पनिक सभ्यता कहा जाता है। कुछ साहित्यकार तो इसे रावण की लंका के नाम से भी जोड़ते हैं, क्योंकि दक्षिण भारत को श्रीलंका से जोड़ने वाला राम सेतु भी इसी महाद्वीप में पड़ता है।

कैसे नाम पड़ा कुमारी कंदम?
कुमारी कंदम को तमिल लोगो के राजा पाण्डेय बादशाह का राज्य कहा गया है। कुमारी कंदम इस नाम का पहला जिक्र 15 बी शताब्दी की बुक गंदा पूर्णम में मिलता है जो संस्कृत में लिखे स्कन्द पुराण का तमिल वर्जन है। जिसे कुमारी नाडु और कुमारी कंदम के नाम से भी जाना जाता था। पारायण नाम के एक राजा हुआ करते थे जिनकी बेटी का नाम कुमारी था। शायद यही से कुमारी कंदम का नाम पड़ा होगा। एक दूसरी ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि यहां कुमारी नाम की नदी बहा करती थी इसलिए इसका यह नाम पड़ा है।
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लोगों को कुमारी कंदम के बारे में कैसे पता चला?
इसकी शुरुआत होती हैं साल 1864 में जब इंग्लैंड के जूलॉजिस्ट फिलिपस स्लेटर एक बुक पब्लिश करते है जिसका नाम मैमल्स ऑफ मेडागास्कर। फिलिप्स स्लेटर ने नोटिस किया कि मेडागास्कर और भारत में पाई जाने वाली कई स्पीजिश के बीच गहरा संबंध है। जैसे कि लैमूर जो मेडागास्कर में पाया जाता है अफ्रीका के दूसरे देश में ज्यादा देखने को नहीं मिलता जबकि भारत में यह काफी ज्यादा संख्या में मौजूद है। लेकिन ये मैन लैंड अफ्रीका से भारत नहीं पहुंचे तो ये हमारे देश में आए कैसे। और भारत में ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के साथ भी ये कनेक्शन देखने को मिलता है जहां लैमूर की 100 से ज्यादा प्रजाति पाई जाती है। ऑस्ट्रेलिया तो मेडागास्कर से काफी दूर एक आईलैंड है तो फिर भारत ऑस्ट्रेलिया और मेडागास्कर को आपस में क्या जोड़ रहे है।
इस मिस्ट्री को सॉल्व किया लमूरी ने जिसे एक लॉस्ट महाद्वीप के रूप में इमेजिंग किया। ऐसा माना गया कि हिन्द महासागर में स्थित ये विशालकाय महाद्वीप भारत के कन्याकुमारी से लेकर मेडागास्कर तक और ऑस्ट्रेलिया तक फैला हुआ था। जिसमें से श्रीलंका भी शायद इसी का एक हिस्सा था।
कुमारी कंदम के बारे में तमिल साहित्य में मिलता हैं उल्लेख?
कुमारी कंदम के बारे में तमिल के कई साहित्यों में इसका उल्लेख मिलता हैं:- शिल्प्पादिकरम, तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई में कुमारी कंदम का उल्लेख मिलता है। तमिल साहित्यकारों के अनुसार पांडे राजाओं ने कुमारी कंदम पर 11000 सालों तक राज किया था। कुमारी कंदम का उल्लेख भगवतगीता स्कन्दपुराण मत्स्यपुराण और गरुड़ पुराण में इसका उल्लेख किया गया है। मौर्य साम्राज्य के दौरान भारत आय मेगास्थनीज ने अपनी बुक इण्डिका में Taprobane जिक्र किया है जो श्रीलंका का पुराण नाम हुआ करता था। मेगास्थनीज ने बताया कि भारत और श्रीलंका को Porunai नाम की नदी डिवाइड करती थी। इस नदी को आज Thamirabrani River के जाना जाता हैं जो तमिलनाडु में है और यह नदी हिन्द महासागर में मिलती है। हो सकता है प्राचीन समय में यह नदी भारत और श्रीलंका की अलग करती हो।
रावण का साम्राज्य कुमारी कंदम तक फैली हुई थी?
रावण जो कि इतना महान योद्धा हुआ करता था क्या आपको लगता है कि उसका राज्य सिर्फ आज के छोटे से श्रीलंका के बराबर होगा। पौराणिक लेख भी ये बताती हैं कि रावण का साम्राज्य का बड़ा हिस्सा पानी में शमा गया होगा। आपको नहीं लगता कि श्रीलंका कुमारी कंदम का एक छोटा सा हिस्सा है जो अभी भी पानी के ऊपर बचा हुआ है जिसे हम देख सकते है।
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